top of page

चूहा चला शहर

एक बार की बात है ढोलकपुर जंगल में चंदू चूहा बड़ी खुशी-खुशी अपने दोस्त मंटू चूहे के आने का इंतजार कर रहा था। मंटू चूहे ने 2 दिन पहले ही चंदू चूहे को फोन किया था। फोन पर दोनों दोस्त ने खूब देर तक बात की थी। बात करते-करते चंदू चूहे ने मंटू से कहा, अरे दोस्त कितना समय हो गया तुमको शहर गए। आओ कभी हमारे गाँव भी घूम जाओ। चंदू चूहे की बात सुन कर मंटू चूहा तुरंत कहता है, हाँ दोस्त। काफी दिन हो  गए मिले हुए। ठीक है परसों में आता हूँ ढोलकपुर। तुम सबसे मिलने। बस शहर से अपने दोस्त के आने की खुशी में चंदू चूहा खूब तैयारी करने में लग जाता है। तभी चंदू चूहे को एक आवाज सुनाई देती है, अरे भाई चंदू कहाँ हो। देखो मैं तुम्हारा दोस्त आया है शहर से। मंटू चूहे को अपने सामने देख कर चंदू चूहा बहुत खुश हो जाता है। उसे झट से गले लगाता है। फिर दोनों दोस्त बैठकर एक दूसरे का हाल पूछते हैं। इसके बाद चंदू चूहा अपने दोस्त को खाने में बहुत ही बढ़िया-बढ़िया पकवान देता है।

 

बहुत दिनों बाद गाँव का इतना स्वादिष्ट खाना खा कर मंटू चूहे को बहुत अच्छा लगता है। खाना खाते समय चंदू चूहा बार-बार मंटू चूहे से शहर के बारे में पूछता रहता है। चंदू चूहा कहता है अच्छा मंटू भाई शहर में लोग कैसे होते हैं, वो खाना क्या खाते हैं। वो पहनते क्या हैं। क्या गाँव से भी अच्छा शहर होता है। भाई मुझे तो यही लगता है गाँव से अच्छा शहर ही होता है। तुम्ही को देख लो। क्या बढ़िया सूट-बूट पहन कर एक दम जेन्टल मेन लग रहे हो।  चंदू चूहे की ये सभी बाते सुन कर मंटू चूहा तुरंत कहता है, दोस्त जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं। खैर तुम ऐसे नहीं मेरी बात को समझ पाओगे।  चलो तुम मेरे साथ। मैं तुम्हें शहर दिखाता हूँ। चंदू चूहा ये सुन कर बहुत खुश हो जाता है और शहर जाने को तैयार हो जाता है। फिर मंटू चूहा उसे लेकर शहर पहुंचता है। चंदू चूहा जैसे ही शहर पहुंचता है उसे बड़ी-बड़ी गाड़ियां दिखाई देती हैं। इतनी सारी गाड़ी और उनकी आवाज सुन कर चंदू चूहा बहुत डर जाता है।

 

वो तुरंत मंटू से कहता है, दोस्त मुझे बचा लो। मुझे बहुत डर लग रहा है। फिर मंटू उसे किसी तरह समझाते और गाड़ियों से बचाते हुए अपने घर लेकर आता है। घर के अंदर आते ही चंदू राहत की सांस लेता है। इसके बाद मंटू अपने दोस्त के लिए खाने में पिज्जा और बर्गर लेकर आता है। चंदू चूहे ने पहली बार ये सब देखा था। इसलिए वो खुशी-खुशी उसे जैसे ही खाने के लिए जाता है तभी वहाँ पर बहुत बड़ी-बड़ी बिल्ली आ जाती है, जिन्हे देख कर दोनों चूहे जोर से भागते हैं। बिल्ली के डर से चंदू चूहा कुछ खा भी नहीं पाता। इतना सब होने पर चंदू चूहा अपने दोस्त से कहता है भाई तुम्हारे शहर से भला मेरा गाँव है। कम से कम इतना डर तो नहीं है मेरे भाई वहाँ। इसके बाद चंदू चूहा न इधर देखता है और न उधर। सीधा अपने ढोलकपुर जंगल आकर रुकता है।

 

मोरल- हमें कभी भी दूसरों से खुद की तुलना नहीं करनी चाहिए। क्योंकि हो सकता है जो जैसा दिखता है वो वैसा ही हो, यह बिल्कुल जरूरी नहीं।  

bottom of page